तिन-दिन चलय वला मिथिलाक प्रसिद्द पाबैन जितिया आइ सँ नहाय-खायके संग शुरू भेल। कहल जायत अछि जे जितिया व्रत कयला सँ पति तथा संतान दीर्घायु होयत अछि। इ व्रत सामन्यतः विवाहित स्त्रिगण करैत छथि। अहि व्रतमे पानि सेहो नहि पीयल जायत छै अर्थात इ व्रत निर्जल होयत अछि।
जितिया आश्विन महिनाके अन्हरिया पक्षमे सप्तमी सँ लय कय नओमी तक मनाओल जायत अछि। नहाय-खायके दिन महिला सभ चुरा, तेल खैर जीमूतवाहनके चढ़बैत छथि। दोसर दिन बिना पानि-फलाहारके पूरा दिन अष्टमीके व्रत करैत छथि। अहि व्रतके समय महिला लोकिन किछ नहि तोड़ैैत अथवा काटैत छथि।
व्रत वला दिन महिला लोकिन जितिया कथा सुनैत छथि। कहल जायत अछि जे जितिया (जीमूतवाहन व्रत कथा) सुनला सँ पति तथा सन्तान दीर्घायु होयत अछि। तेसर दिन नओमीके पारण कयल जायत अछि।
आइ सप्तमीके नहाय-खाय दिन मरुआके रोटी, माछ, झिन्गुनि आदिके सेहो खायल जायत अछि। आइ राति 8 बजे ओठगन कयलाक बाद महिला लोकिन जे व्रत करतीह से एकबेर परसु जा कय पारण करतीह अहि माँझ ओ नहिये फलहार करैत छथि नहिये जल ग्रहण करैत छथि। एकेबेर नओमीके जाकय पारण करैत छथि।
जितिया कथा चिल्ली तथा सियारनिके कथा अछि मैथिली पञ्चांग पर सम्पूर्ण जितिया कथा देल अछि जतय सम्पूर्ण जितिया कथा (जीमूतवाहन व्रत कथा) पढ़ि सकैत छी
जितिया कथा पढ़वाक लेल एतय क्लिक करू